संस्कार भास्कर Sanskar Bhaskar
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AUTHOR: | Swami Vidyanand Sarswati |
SUBJECT: | Sanskar Bhaskar |
CATEGORY: | Karmakand |
PUBLISHER: | Ramlal Kapoor Trust |
LANGUAGE: | Sanskrit & Hindi |
PAGES: | 389 |
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महर्षि दयानन्द सरस्वती भारत के नवजागरण के प्रखरतम पुरस्कर्ता थे। उनका सारा जीवन भारत के सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक पुनरुत्थान के लिए समर्पित था। उन्होंने उत्तरी तथा पश्चिमी भारत के लोक-जीवन में अपने प्रवचनों भाषणों-शास्त्रार्थी वैदिक सिद्धान्तों के प्रतिपादक श्रेष्ठग्रन्थों के द्वारा अद्भुत क्रान्ति का सूत्रपात किया था। उनके द्वारा रचित विपुल साहित्य सदा भारतीय जनता का मार्गप्रदर्शन करता रहेगा।
प्राचीन जटिल धार्मिक कर्मकाण्ड के स्थान पर उन्होंने वेद को आधार बनाते हुए सरल सुबोध एवं सुकर कर्मकाण्डीय ग्रन्थों का संग्रथन किया। संस्कारविधि उन ग्रन्थों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है। ऋषि दयानन्द की विशेषता यह है कि उन्होंने प्राचीन ऋषियों द्वारा प्रोक्त कल्पसूत्रों की विधियों की मौलिकता को अक्षुण्ण रखते हुए सुगम सुकर विधियों को मान्यता दी है।
-संस्कारविधि का द्वितीय संशोधित संस्करण उनके जीवन काल में ही छपना आरम्भ हो गया था। ऋषि दयानन्द ने संस्कारों का विषय संक्षेप से निरूपित किया है। इसलिए विषय के स्पष्टीकरण के लिए व्याख्या की आवश्यकता आर्यजन अनुभव करने लगे। इस कार्य के लिए कई आर्य विद्वानों ने स्वामीजी के ग्रन्थों पर व्याख्यात्मक टिप्पणियों और भाष्यों की रचना की। स्वामी विद्यानन्द सरस्वती डी०ए०वी० के प्रिंसिपल पद को अलंकृत करने वाले वैदिक विद्वान् थे।
इन्होंने संस्कृत, हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में लगभग तीन दर्जन उत्तम सैद्धान्तिक ग्रन्थों की रचना की है। वे ऋषि दयानन्द के अनन्यभक्त थे और उनके तीन प्रसिद्ध ग्रन्थों-सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका तथा संस्कार विधि पर ‘भास्कर’ नाम से व्याख्याएँ लिखी थीं। इण्टरनेशनल आर्यन फाउण्डेशन’ ने इन ग्रन्थों के प्रथम संस्करण प्रकाशित किये थे। स्वामी विद्यानन्द सरस्वती ने अपने जीवन काल में अपने सभी ग्रन्थों के प्रकाशन का अधिकार ‘रामलाल कपूर ट्रस्ट’ को दे दिया था। आरम्भ से ही उन के सभी ग्रन्थ ‘रामलाल कपूर ट्रस्ट’ के माध्यम से ही विक्रय हो रहे हैं।
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