गंगा की धारा
Ganga ki Dhara Gurudutt

600.00

AUTHOR: Guruatt
SUBJECT: Ganga ki Dhara
CATEGORY: Historical Novel
PUBLISHER: HINDI SAHITYA SADAN
LANGUAGE: Hindi

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Description

इस देश में बसे समाज की संस्कृति और आचार संहिता गंगा की पावन धारा की भाँति अनन्तकाल से चली आ रही है । फिर भी यह अपने स्रोत के समीप ही पवित्र है , स्वच्छ है , मधुर है और रोग – नाशक है । हुगली की धारा भी है तो गंगा ही की धारा , परन्तु इसमें बहुत कुछ मल – मूत्र , कीचड़ और कचरा मिल गया है । इस कारण यदि इस धारा से लाभ उठाना है तो इसका पान गंगोत्री में जाकर ही करना होगा । भारत अति उन्नत देश था और यहाँ के रहने वालों की आचार संहिता अति श्रेष्ठ थी । फिर भी यह देश और इसमें रहने वाली जाति एक सहस्र वर्ष से मध्य एशिया की बर्बर जातियों के पाँवों की ठोकरें खा रही है ।

गंगा की धारा यह गाथा है उस काल की , जब लोग संत – महात्माओं द्वारा खोदे गये कुओं अर्थात् उन द्वारा चलाये सम्प्रदायों के जल का पान करने लगे थे और गंगा के स्रोत गंगोत्री तक पहुँचने को अनावश्यक मान , कुओं के जल पर ही संतोष कर रहे थे । शेष तो यह उपन्यास है । पात्र काल्पनिक हैं । इतिहास को ठीक – ठीक रखने का यत्न किया गया है । तब के हिन्दुओं की दयनीय दशा का इसमें यथार्थ चित्रण किया गया है , वह काल्पनिक नहीं है । मुसलमान अभी भी यहाँ हैं । अभी भी पाकिस्तान और बंगलादेश हैं , जहाँ तबलीग़ का दौर वेग से चल रहा है और हिन्दू अभी भी अपने को वैसा ही असहाय पाता है , जैसे उस काल में था , जब की यह कथा है ।

– गुरुदत्त

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About Gurudutt
वैद्य गुरुदत्त, एक विज्ञान के छात्र और पेशे से वैद्य होने के बाद भी उन्होंने बीसवीं शताब्दी के एक सिद्धहस्त लेखक के रूप में अपना नाम कमाया। उन्होंने लगभग दो सौ उपन्यास, संस्मरण, जीवनचरित्र आदि लिखे थे। उनकी रचनाएं भारतीय इतिहास, धर्म, दर्शन, संस्कृति, विज्ञान, राजनीति और समाजशास्त्र के क्षेत्र में अनेक उल्लेखनीय शोध-कृतियों से भी भरी हुई थीं।
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