ग्रन्थ का नाम – महाभारत
अनुवादक – स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती
महाभारत महर्षि वेदव्यास जी द्वारा प्रज्वलित ज्ञान-प्रदीप है। यह धर्म का विश्वकोश है। इस ग्रन्थ में जहाँ आत्मा की अमरता का सन्देश है, वहाँ राजनीति के सम्बन्ध में ‘कणिकनीति’ ‘नारदनीति’ और ‘विदुरनीति’ जैसे दिव्य उपदेश है
जिनमें राजनीति के साथ-साथ आचार और लोक-व्यवहार का भी सुन्दर निरूपण है।
सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, राजनैतिक आदि अनेक दृष्टियों से महाभारत एक गौरवमय ग्रन्थ है। लेकिन समय-समय पर इस ग्रन्थ में कुछ-कुछ श्लोक वृद्धि होती रही है। इसका वर्णन स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने अपने ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश के एकादश समुल्लास में “संजीवनी” ग्रन्थ के प्रमाण से किया है। इन्हीं प्रक्षिप्त श्लोकों के कारण महाभारत में अनैतिहासिक घटनाओं, असम्भव गप्पों, अश्लील प्रकरणों आदि की प्राप्ति होती है। इन प्रक्षिप्त श्लोकों को पृथक् करना बडा ही श्रमसाध्य कार्य है। स्वामी जगदीश्वरानन्द जी ने अत्यन्त परिश्रम से यह संक्षिप्त सङ्कलन तैयार किया है। इसमें अश्लील, असम्भव गप्पों, असत्य और अनैतिहासिक घतनाओं को छोड दिया है। महाभारत का सार-सर्वस्व इसमें दिया है। प्रस्तुत संस्करण में लगभग 16000 श्लोकों में महाभारत पूर्ण हुआ है। श्लोकों का तारतम्य इस प्रकार मिलाया गया है कि कथा का सम्बन्ध निरन्तर बना रहता है। इस संस्करण के अध्ययन से निम्न लाभ पाठकों को प्राप्त होंगे –
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