महाभारत
Mahabharat

Original price was: ₹1,300.00.Current price is: ₹1,250.00.

AUTHOR: Swami Jagdishwaranand Sarswati (स्वामी जगदीश्वरानंद सरस्वती)
SUBJECT: महाभारत | Mahabharat History
CATEGORY: History
LANGUAGE: Sanskrit-Hindi
EDITION: 2023
PAGES: 1446
BINDING: Hard Cover
WEIGHT: 2140
Description

ग्रन्थ का नाम – महाभारत

अनुवादक – स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती

महाभारत महर्षि वेदव्यास जी द्वारा प्रज्वलित ज्ञान-प्रदीप है। यह धर्म का विश्वकोश है। इस ग्रन्थ में जहाँ आत्मा की अमरता का सन्देश है, वहाँ राजनीति के सम्बन्ध में ‘कणिकनीति’ ‘नारदनीति’ और ‘विदुरनीति’ जैसे दिव्य उपदेश है

जिनमें राजनीति के साथ-साथ आचार और लोक-व्यवहार का भी सुन्दर निरूपण है।

सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, राजनैतिक आदि अनेक दृष्टियों से महाभारत एक गौरवमय ग्रन्थ है। लेकिन समय-समय पर इस ग्रन्थ में कुछ-कुछ श्लोक वृद्धि होती रही है। इसका वर्णन स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने अपने ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश के एकादश समुल्लास में “संजीवनी” ग्रन्थ के प्रमाण से किया है। इन्हीं प्रक्षिप्त श्लोकों के कारण महाभारत में अनैतिहासिक घटनाओं, असम्भव गप्पों, अश्लील प्रकरणों आदि की प्राप्ति होती है। इन प्रक्षिप्त श्लोकों को पृथक् करना बडा ही श्रमसाध्य कार्य है। स्वामी जगदीश्वरानन्द जी ने अत्यन्त परिश्रम से यह संक्षिप्त सङ्कलन तैयार किया है। इसमें अश्लील, असम्भव गप्पों, असत्य और अनैतिहासिक घतनाओं को छोड दिया है। महाभारत का सार-सर्वस्व इसमें दिया है। प्रस्तुत संस्करण में लगभग 16000 श्लोकों में महाभारत पूर्ण हुआ है। श्लोकों का तारतम्य इस प्रकार मिलाया गया है कि कथा का सम्बन्ध निरन्तर बना रहता है।  इस संस्करण के अध्ययन से निम्न लाभ पाठकों को प्राप्त होंगे –

  • प्राचीन गौरवमय इतिहास की, संस्कृति और सभ्यता की, ज्ञान-विज्ञान की, आचार-व्यवहार की झांकी का दर्शन होगा।

  • योगिराज कृष्ण की नीतिमत्ता का दर्शन होगा।

  • प्राचीन समय की राज्य-व्यवस्था की झलक दिखेगी।

  • इस संस्करण के अध्ययन से निम्न प्रकरणों जैसे – क्या द्रोपदी का चीर खींचा गया था

  • क्या युद्ध के समय अभिमन्यु की अवस्था सोलह वर्ष की थी, क्या कर्ण सूत-पुत्र था, क्या जयद्रथ को धोखे से मारा गया, क्या कौरवों की उत्पत्ति घडों से हुई थी?

  • ऐसे अनेकों सन्देहास्पद प्रकरणों का समाधान प्राप्त होगा।

  • भ्रातृप्रेम, नारी का आदर्श, सदाचार, धर्म का स्वरूप, गृहस्थ का आदर्श, मोक्ष का स्वरूप, वर्ण और आश्रमों के धर्म, प्राचीन राज्य का स्वरूप आदि के सम्बन्ध में ज्ञान प्राप्त होगा

लोगों में ऐसी भ्रांत धारणा प्रचलित है कि जिस घर में महाभारत का पाठ होता है, वहाँ गृहकलह, लडाई-झगडा आरम्भ हो जाता है

अतः घर में महाभारत नहीं पढनी चाहिए। यह धारणा सर्वथा मिथ्या और भ्रान्त ही है।

अतः जहाँ महाभारत का पाठ होगा, वहाँ घर के निवासियों के चरित्रों का उत्थान और मानव-जीवन का कल्याण होगा।

आशा है कि पाठक इस ग्रन्थ का पाठ करेंगे और इसकी शिक्षाओं को जीवन में अपनाएंगे।

महाभारत महर्षि वेदव्यास जी द्वारा प्रज्वलित ज्ञान-प्रदीप है। यह धर्म का विश्वकोश है। इस ग्रन्थ में जहाँ आत्मा की अमरता का सन्देश है, वहाँ राजनीति के सम्बन्ध में ‘कणिकनीति’ ‘नारदनीति’ और ‘विदुरनीति’ जैसे दिव्य उपदेश है, जिनमें राजनीति के साथ-साथ आचार और लोक-व्यवहार का भी सुन्दर निरूपण है।

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